Maalik Film Review: राजकुमार राव का गैंगस्टर अवतार दमदार,हिट या फ्लॉप?


प्रयागराज की गलियों से निकली एक चिंगारी जब आग बनती है, तो वो सिर्फ रास्ते नहीं जलाती, कई जिंदगियां झुलसा देती है। 'मालिक' ऐसी ही एक चिंगारी की कहानी है, जो न तो पूरी तरह अपराध की तरफ है, न ही सिस्टम से लड़ने वाली कोई महान आत्मा। यह कहानी है उस गुस्से, उस लाचारी की, जो धीरे-धीरे एक आम लड़के को 'मालिक' बना देती है। फिल्म में मानुषी छिल्लर भी नजर आ रही हैं। आखिर कैसी है फिल्म, चलिए आपको बताते हैं।फुटबॉल खेलने वाला एक झटके में अपराधी बन जाता है और अपराध की दुनिया से बाहर आने की सोचता भी नहीं। पुलिस का पक्ष भी बेहद कमजोर है, जो केवल बाहुबली और विधायक के अनुसार चलती है। अनुज राकेश धवन का कैमरा वर्क कमाल है, खासकर एक्शन के दृश्यों में। अक्सर इस तरह की फिल्मों में हीरो की बार-बार हीरोइक एंट्री होती है, जिसमें म्यूजिक बजता है, स्लो मोशन होता है, इन चीजों से पुलकित बचते हैं। राजकुमार राव की फिल्म 'मालिक' 11 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है।

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Maalik Film Review: राजकुमार राव का गैंगस्टर अवतार दमदार,हिट या फ्लॉप?

गैंगस्टर बनकर छा गए राजकुमार राव

राजकुमार राव का मालिकाना हक अभिनय पर बनता है। पहली बार वह गैंगस्टर के रोल में दिखे राजकुमार यकीन दिलाते हैं कि वह पानी की तरह है, जिस रंग और आकार में उन्हें ढालो वह ढल जाएंगे। मालिक के दोस्त बदौना के रोल में अंशुमन पुष्कर बेहतरीन काम करते हैं, अंत में चौकाएंगे में भी। अधकच्चे लिखे रोल को भी सौरभ शुक्ला, सौरभ सचदेवा और स्वानंद किरकिरे सीमित दायरे में शिद्दत से परफॉर्म करते हैं। प्रोसेनजीत हमेशा की तरह प्रभावित करते हैं। उन्हें और हिंदी फिल्में करनी चाहिए। मानुषी छिल्लर को देखकर लगता है कि उन्होंने अपने अभिनय पर वाकई काम किया है। कम स्क्रीनस्पेस में भी वह याद रह जाती हैं। राजेंद्र गुप्ता का अनुभव नजर आता है, उन्हें और जगह मिलनी चाहिए थी।

Movie Review : मालिक

कलाकार : राजकुमार राव, मानुषी छिल्लर , अंशुमान पुष्कर, सौरभ शुक्ला , प्रोसेनजीत चटर्जी और हुमा कुरैशी

लेखक : ज्योत्सना नाथ और पुलकित

निर्देशक : पुलकित

निर्माता : भूषण कुमार, कृष्ण कुमार, अनीता टंडन और संदीप शर्मा

रिलीज : 11 जुलाई 2025

रेटिंग : ★★★★★7.4/10

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राजकुमार राव के कंधों पर पूरी फिल्म

फिल्म का सेंट्रल किरदार है दीपक, जिसे निभाया है राजकुमार राव ने। राजकुमार की परफॉर्मेंस फिल्म का सबसे ताक़तवर पक्ष है। उन्होंने अपने किरदार में जो टूटा हुआ आत्म-सम्मान, अंदर ही अंदर उबलता गुस्सा और धीरे-धीरे बढ़ती सत्ता की भूख दिखाई है, वो वाकई असर छोड़ती है। खास बात यह है कि एक ऐसा किरदार है जो हालात से मालिक बना है और शायद यही इसकी सबसे बड़ी सच्चाई है। राजकुमार राव के करियर की यह उन फिल्मों में से एक है, जो उन्हें पूरी स्क्रीन स्पेस और स्क्रिप्ट देती है। उन्होंने पहले भी 'शाहिद', 'सिटीलाइट्स' और 'ओमेर्टा' जैसी फिल्मों में गंभीर किरदार निभाए हैं, लेकिन 'मालिक' में कैमरा हर वक्त उन्हीं के चेहरे पर टिका रहता है। वह हर फ्रेम को ईमानदारी से निभाते हैं।

अधूरी कहानी, 'मालिक' ने पूरी की?

गौर करने वाली बात यह भी है कि राजकुमार ने पहले 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' में नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ एक मजबूत रोल करने की कोशिश की थी, लेकिन बाद में उनका किरदार छोटा कर दिया गया था। शायद 'मालिक' उस अधूरे सपने की एक पूरी तस्वीर है।

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शुरुआत उम्मीद से भरी

फिल्म की शुरुआत बहुत वादा करती है -एक डा डार्क, थ्रिलर की उम्मीद जगती है। इलाहाबाद की असली गलियों में फिल्माया गया हर सीन रॉ और रियल लगता है। कैमरा वर्क, लाइटिंग और प्रोडक्शन डिजाइन उस राजनीतिक-गुंडागर्दी के फिल्म का माहौल बहुत अच्छे तरीके से बनाया गया है। लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, फिल्म खुद अपनी गंभीरता से घबराने लगती है।
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कैसे एक खेत जोतने वाला बनता है फिल्म में मालिक?

कहानी पिछली सदी के आठवें दशक के इलाहाबाद में रखी गई है। किसान बिंदेश्वर (राजेंद्र गुप्ता) जब अपने बेटे दीपक (राजकुमार राव) को मालिक के पैर छूने के लिए कहता है, जिसके खेत को जोतकर वह फसल उगाता है, दीपक मनाकर देता है। वह मालिक पैदा नहीं हुआ, लेकिन बनना चाहता है। उसके पिता की फसल को जब शंकर सिंह उर्फ दद्दा (शंकर सिंह) के आदमी खराब करने के बाद उसे मारते है, तो दीपक दद्दा के पास पहुंचकर मदद मांगता है। दद्दा उसे अपनी मदद खुद करने के लिए कहता है।

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