प्रियंका सिंह, मुंबई। थलाइवर के नाम से मशहूर अभिनेता रजनीकांत ने इस साल फिल्म इंडस्ट्री में अपने 50 साल पूरे किए हैं। उनकी तमिल फिल्म कुली उनके प्रशंसकों के लिए और खास है, लोग सिनेमाघरों में उनके पोस्टर पर दूध से अभिषेक करते हुए नजर आए। लोकेश कनगराज के डायरेक्शन में बनी रजनीकांत स्टारर कुली फिल्म 14 अगस्त तो सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. फैंस ने तो सोशल मीडिया पर गर्दा उड़ाया हुआ है, ऐसे में देखना तो बनता है कि जो रुझान आ रहे हैं वो कितने सही हैं. यहां पढ़ें सटीक रिव्यू
मूवी रिव्यू
नामः कुली (Coolie)
रेटिंग : 6.4
कलाकार : रजनीकांत, नागार्जुन अक्किनेनी, आमिर खान, श्रुति हासन, सौबिन शाहिर, सत्यराज, उपेंद्र
निर्देशक : लोकेश कनगराज
रिलीज डेट : Aug 14, 2025
प्लेटफॉर्म : सिनेमाहॉल
भाषा : हिंदी
बजट : N/A
रजनीकांत के करियर की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर लोकेश कनगराज ने उन्हें ट्रिब्यूट हुए एक ऐसी फिल्म बनाई जो सुपरस्टार को ओर आसमान से शीर्ष पर पहुंचा सकती है. ऐसा रजनी फैंस का जोरदार तरीके से मानना है. स्वतंत्रता दिवस के ठीक एक दिन पहले रजनीकांत की 'कुली' रिलीज हुई, आइये आपको हमारे रिव्यू में बताते हैं कि ये फिल्म कैसी है |

कुली' का फर्स्ट हाफ
कुली' के पहले सीन से ही डायरेक्टर लोकेश कनगराज 'थलाइवा' फैन्स के लिए खास तौर पर तैयार किया गया पैकेज रिवील करना शुरू कर देते हैं. सुपरस्टार रजनीकांत का स्क्रीन पर पहली बार प्रकट होना थिएटर्स में बिजलियां कड़काने के लिए काफी है. उनके किरदार, 'देवा', का बिल्ड-अप दमदार है और लोकेश एक अनोखी लेकिन कड़क गैंगस्टर स्टोरी बुन रहे हैं. इन स्टोरीज मानव शरीर को सेकंड्स में राख कर देने वाली एक मशीन है. गैंगस्टर्स हैं, जो हत्याएं कर-करके इतनी लाशें जुटा देते हैं कि ये मशीन कभी खाली नहीं रहती. मगर इस मशीन को चलाने वालों की लाइफ के अपने रहस्य हैं |

आइये जानते हैं सेकंड हाफ ने कितना लुभाया?
फर्स्ट हाफ के सेटअप के बाद, सेकंड हाफ में 'कुली' को बड़ा धमाका करना था. लेकिन इस फिल्म के इस हिस्से में बारूद थोड़ा कम लगता है. कहानी के सस्पेंस, ट्विस्ट और रिवील उतने दमदार नहीं लगते जितने होने चाहिए थे. लोकेश, ट्विस्ट रिवील करने के मामले में सिर्फ तमिल सिनेमा में ही नहीं, देशभर के यंग डायरेक्टर्स बहुत ऊपर गिने जाते हैं. उनकी 'विक्रम' में सारे रिवील बहुत कमाल के हैं. मगर 'कुली' के सेकंड हाफ में शायद वो खुद रजनीकांत के जलवों को एन्जॉय करने लगे थे और उनका स्क्रीनप्ले ढीला पड़ने लगा.
फाइट सीन्स लंबे होने लगते हैं, एक्शन बार-बार एक जैसा लगने लगता है. सेकंड हाफ में अचानक से 'कुली' कई आईडियाज से खेलने लगती है. इसमें से एक किरदार का पलटना तो बहुत सरप्राइज भरा और दिलचस्प लगता है. मगर बाकी बड़े ट्विस्ट आपको दूर से ही आते हुए दिखने लगते हैं |
दोस्त की मौत का बदला
कहानी हैं देवा (रजनीकांत) की, जो एक जमाने में कुली था। अब चेन्नई में अपना मेंशन हाउस (रुकने की जगह) चलाता है। एक दिन उसे अपने पुराने दोस्त राजशेखर (सत्यराज) की मौत की खबर मिलती है। उसे पता चलता है कि उसकी हत्या हुई है। दरअसल, राजशेखर ने ऐसी मशीन बनाई होती है, जो किसी भी जानवर के पार्थिव शरीर को कुछ ही सेकेंड में राख बना सकती है।
मुकाम तक नहीं पहुंची 'कुली' की कहानी
फिल्म की कहानी विक्रम, कैथी, मास्टर जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके लोकेश कनगराज ने ही लिखी है। उन्होंने रजनीकांत के कद को देखते हुए उन्हें हर फ्रेम में किसी सुपरहीरो की तरह ही दिखाया है, लेकिन ऐसा करने में उन्होंने कहानी में काफी कुछ डाल दिया है, जैसे देवा की शादी हुई थी, उसकी बेटी भी है, सायमन के बेटे का अफेयर चल रहा है, दयाल के कान्स्टेबल बनने की अपनी कहानी है, सायमन और देवा के बीच भी पुरानी दुश्मनी है।
रजनीकांत है फिल्म के पावरहाउस
अभिनय की बात करें, तो इस कमजोर फिल्म में भी रजनीकांत पावरहाउस लगते हैं। कहानी को वह अपने स्वैग और अभिनय से संभालते हैं। पैन इंडिया के ढांचे में फिट करने के लिए फिल्म में कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री से उपेंद्र, हिंदी से आमिर खान और मलयालम इंडस्ट्री से सौबिन शाहिर को लिया गया है। लेकिन उपेंद्र का पात्र अधकच्चा है। क्लाइमेक्स में मेहमान भूमिका में दिखे आमिर का केवल लुक ही दमदार है। खलनायक की भूमिका में नागार्जुन अक्किनेनी के हिस्से भी केवल स्टाइल दिखाना ही आया है, वह केवल शराब-सिगरेट पीता है, बस। उनसे ज्यादा दमदार विलेन दयाल के पात्र में सौबिन शाहिर लगे हैं, जो चाहे डांस, एक्शन, डायलॉगबाजी सब में चमकते हैं।