Kingdom Movie Review: लंबे इंतज़ार के बाद आखिरकार विजय देवरकोंडा की फिल्म किंगडम (साम्राज्य) सिनेमाघरों में आ गई है |

Kingdom Movie Hindi Review: लंबे इंतज़ार के बाद आखिरकार विजय देवरकोंडा की फिल्म किंगडम (साम्राज्य) सिनेमाघरों में आ गई है. फिल्म तमिल और तेलुगू के अलावा हिंदी में भी आई है. फिल्म का निर्देशन नेशनल अवॉर्ड विनर गौतम तिन्नानुरी ने किया है ये कहानी है 1920 के दशक में ब्रिटिश भारत की। श्रीकाकुलम तट पर रहने वाले लोगों के एक समूह की अंग्रेजी औपनिवेशिक ताकतें क्रूरता से हत्या कर देती हैं। इसमें से कुछ मुट्ठी भर लोग श्रीलंका के पास एक द्वीप पर भागने में कामयाब हो जाते हैं। फिर कहानी सत्तर साल आगे बढ़ती है। सूरी एक पुलिस कांस्टेबल है, जो अपने भाई शिवा की खोई हुई यादों से परेशान है। वह उसे ढूंढ़ने की उम्मीद में एक सीक्रेट जासूसी मिशन पर निकलता है।भाई की तलाश में सूरी जाफना के दुर्गम समुद्री तट पर पहुंचता है, जहां अब स्मगलरों का कंट्रोल है। लेकिन कहानी इतनी सीधी नहीं है, कयोंकि नियति में कुछ और ही लिखा है। कहानी में आगे क्या होता है, क्या सूरी अपने भाई से मिल पाता है, यह सब जानने के लिए आपको यह फिल्म देखनी पड़ेगी।

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'किंगडम' मूवी रिव्यू

डायरेक्टर गौतम तिन्नानुरी ने 2019 में 'जर्सी' के जरिए दर्शकों के दिलों को छुआ था। बाद में 2022 में उन्होंने ही इसे हिंदी में शाहिद कपूर के साथ रीमेक किया था। अब वह 'किंगडम' जिसे हिंदी में 'साम्राज्य' के नाम से रिलीज किया गया है, में भी कुछ ऐसी ही संवेदनशीलता लेकर आए हैं। हालांकि यह फिल्म एक्शन और एक काल्पनिक इतिहास के कैनवास पर रची गई है, फिर भी अपने भवनात्मक मूल को कभी नहीं भूलती। 'किंगडम' का हीरो एक 'मसीहा' और 'रखवाला' है। विस्थापित लोग अपने पूर्वजों के इस विश्वास पर अड़े हैं कि एक दिन, उनके प्राचीन चिन्हों वाला कोई आएगा और उन्हें उनके घर पहुंचाएगा। सिनेमाई पर्दे पर हमने पहले भी ऐसे कई किरदार देखे हैं।

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निर्देशन

नेशनल अवॉर्ड जीत चुके गौतम तिन्नानुरी ने 'किंगडम' का निर्देशन एक अनोखे और प्रभावशाली अंदाज में किया है. उनके निर्देशन में एक ताजापन है. उन्होंने अपनी टीम से बेहतरीन तकनीकी काम निकलवाया है, जिससे फिल्म की क्वालिटी बढ़िया हो जाती है. तिन्नानुरी अपनी शैली के प्रति पूरी तरह से ईमानदार हैं. उन्होंने 'सालार' और 'छत्रपति' जैसी फ़िल्मों की तरह दबे-कुचले लोगों की मुश्किलों को गहराई से पेश किया है, जो कहानी को ज़्यादा प्रभावशाली बनाती है. कुल मिलाकर, गौतम तिन्नानुरी ने अपनी कहानी को ईमानदारी और क्रिएटिविटी से पेश किया है, जो दर्शकों पर गहरा असर छोड़ती है |


एक्टिंग

विजय देवरकोंडा ने किंगडम में कमाल कर दिया है. एक सीधा-सादा सिपाही हो या फिर जेल में बंद कैदी, हर रूप में वे पूरी तरह से ढल गए हैं. उनकी एक्टिंग में इतना दम है कि वे अकेले ही पूरी फिल्म को अपने कंधों पर खींच लेते हैं. खासकर, नाव वाला सीन तो उनका बेहद दमदार है. भाग्यश्री बोरसे ने भी अपनी भूमिका में अच्छा काम किया है और उनकी ऑन-स्क्रीन मौजूदगी कहानी को आगे बढ़ाने में मदद करती है. विजय के साथ उनकी केमिस्ट्री भी अच्छी है. सूरी के बड़े भाई शिवा का किरदार निभाने वाले सत्यदेव ने भी उतना ही जबरदस्त काम किया है. उन्होंने अपने किरदार में ऐसी जान डाली है कि कहानी और भी गहरी हो जाती है. दोनों भाइयों के बीच के इमोशनल सीन दिल छू लेते हैं. बाकी सभी किरदार अपनी भूमिका से पूरा न्याय करते दिखे हैं |

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फिल्म : किंगडम (हिंदी में साम्राज्य)

डायरेक्टर :  गौतम तिन्नानुरी

कास्ट : विजय देवरकोंडा और भाग्यश्री बोरसे

रिलीज : थिएटर

रेटिंग : 7 स्टार्स

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