तारा चैप्टर 1 (2025) रिव्यू: पौराणिक लोककथा और महाकाव्य सिनेमा का संगम | Kantara Chapter 1

पौराणिक लोककथा और महाकाव्य सिनेमा का संगम


“कांतारा” नाम सुनते ही दिमाग में एक रहस्यमय जंगल, देवी-देवताओं की पुकार और लोककला की आत्मा गूंज उठती है। 2022 की फिल्म कांतारा ने भारतीय सिनेमा में तहलका मचा दिया था — और अब 2025 में कांतारा: चैप्टर 1 उसी विरासत को और भी ऊँचाई तक ले जाता है। ऋषभ शेट्टी द्वारा निर्देशित यह फिल्म सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि संस्कृति, अध्यात्म और प्रकृति का जीवंत संगम है।


तारा चैप्टर 1 (2025) रिव्यू: पौराणिक लोककथा और महाकाव्य सिनेमा का संगम | Kantara Chapter 1

कहानी का सारांश (बिना स्पॉइलर)


फिल्म की पृष्ठभूमि कदंब वंश के समय की है — यानी वह दौर जब जंगलों की आत्माएं, देवताओं की आराधना और मानव के बीच का रिश्ता बेहद पवित्र माना जाता था मुख्य पात्र बर्मे (ऋषभ शेट्टी) एक योद्धा है, जो अपने कबीले और देवता की रक्षा के लिए जन्मा है। कहानी दिखाती है कि कैसे सत्ता, भूमि और आस्था के टकराव में मानवता की असली पहचान खो जाती है — और किस तरह “दैवी शक्ति” मानव के भीतर से जागती है।

फिल्म की खूबसूरती: दृश्य और छायांकन


कांतारा चैप्टर 1 की सबसे बड़ी ताकत इसका cinematography है। हर फ्रेम में जंगल की आत्मा बसती है — पेड़ों की सरसराहट, मिट्टी की खुशबू और दीपों की रोशनी तक कैमरे में बोल उठती है। कैमरा वर्क इतना गहरा है कि दर्शक खुद को उस युग में महसूस करते हैं जहाँ धर्म और प्रकृति एक हो जाते हैं विशेष रूप से “भूत कोला” और “देव नृत्य” वाले दृश्य दर्शकों को झकझोर देते हैं।

अभिनय: ऋषभ शेट्टी का जादू


ऋषभ शेट्टी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे केवल निर्देशक नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति के सच्चे कथाकार हैं। उनका अभिनय “बर्मे” के रूप में कच्चा, भावनात्मक और शक्तिशाली है। रुक्मिणी वसंत की भूमिका फिल्म में स्त्री शक्ति और संवेदना का सुंदर संतुलन लाती है। सहायक कलाकार भी लोकजीवन की सच्ची झलक पेश करते हैं — कोई भी किरदार बनावटी नहीं लगता।

संगीत और बैकग्राउंड स्कोर


फिल्म का संगीत जैसे आत्मा को छू लेता है। अर्जुन जेन्या का बैकग्राउंड स्कोर हर सीन को पौराणिक शक्ति से भर देता है। ढोल, नादस्वरम, और कोलाट्टम जैसे लोक वाद्य फिल्म की धड़कन हैं क्लाइमेक्स के दौरान जब संगीत अपनी चरम सीमा पर पहुँचता है, तो दर्शक खुद को देव-शक्ति के बीच महसूस करता है।

संवाद और लेखन


संवादों में गहराई और आस्था दोनों हैं — जैसे हर शब्द किसी पुरातन शास्त्र से निकला हो। उदाहरण के तौर पर एक पंक्ति पूरे दर्शन को समेट लेती है: “जब जंगल रोता है, तो देवता भी मौन नहीं रहते।” ऐसे संवाद फिल्म को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि अनुभव बना देते हैं।

कमजोरियाँ


हालांकि फिल्म हर मोर्चे पर शानदार है, फिर भी कुछ जगहें धीमी लगती हैं। पहला आधा भाग थोड़ा लंबा महसूस होता है, और कुछ उपकथाएं अधूरी सी लगती हैं। कई दर्शकों को यह फिल्म मूल कांतारा (2022) की भावनात्मक गहराई से थोड़ी कम जुड़ी लगेगी — क्योंकि यह ज्यादा भव्य और ऐतिहासिक दिशा में जाती है।

बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन


फिल्म ने रिलीज़ के पहले ही हफ्ते में रिकॉर्ड तोड़ कलेक्शन किया —

भारत में ₹300 करोड़ से अधिक की कमाई और विश्वभर में ₹400 करोड़ पार।

इसने कांतारा 2022 का रिकॉर्ड सिर्फ 6 दिनों में तोड़ दिया।

अब यह KGF: Chapter 2 के बाद दूसरी सबसे बड़ी कन्नड़ फिल्म बन गई है।

यह साबित करता है कि लोककथा और आस्था पर आधारित कहानियाँ भी पैन-इंडिया ब्लॉकबस्टर बन सकती हैं।

सांस्कृतिक प्रभाव


कांतारा चैप्टर 1 सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि “भारतीय लोकसिनेमा की पुनर्जन्म कथा” है।

इसने दर्शकों को याद दिलाया कि हमारी संस्कृति, हमारी मिट्टी, और हमारी आस्था ही असली पहचान है।

कई विदेशी समीक्षकों ने इसे “India’s answer to mythic epic cinema” कहा है।

यह फिल्म भारतीय युवाओं में अपनी जड़ों से जुड़ने की भावना जगाती है।


तारा चैप्टर 1 (2025) रिव्यू: पौराणिक लोककथा और महाकाव्य सिनेमा का संगम | Kantara Chapter 1


संदेश और प्रतीकात्मकता


कांतारा का मूल संदेश यही है — “मनुष्य और प्रकृति एक दूसरे के पूरक हैं।”

जब मनुष्य लालच में प्रकृति से मुंह मोड़ लेता है, तब “दैव” स्वयं प्रकट होता है।

यह दर्शन केवल कर्नाटक की परंपरा नहीं, बल्कि पूरे भारत की आत्मा है।

फिल्म यह भी दिखाती है कि शक्ति केवल देवता में नहीं, बल्कि हर उस इंसान में है जो सच्चाई और धर्म के लिए खड़ा होता है।

 

निष्कर्ष: 


क्यों देखें यह फिल्म

अगर आपको भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और रहस्य से जुड़ी कहानियाँ पसंद हैं —

तो कांतारा चैप्टर 1 (2025) एक अनुभव है जिसे थिएटर में महसूस किया जाना चाहिए।

यह फिल्म स्पेशल इफेक्ट्स से नहीं, बल्कि भावना और विश्वास से चलती है।

ऋषभ शेट्टी ने यह साबित किया है कि भारतीय सिनेमा “रूटेड” होते हुए भी “ग्रैंड” हो सकता है।

> ⭐ रेटिंग: 4.5 / 5

🎯 “कांतारा चैप्टर 1” — एक आध्यात्मिक यात्रा जो सिनेमा से कहीं आगे जाती है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.